ऐ कैसा शपथ पत्र

दो आखर पढ़कर ज्ञानी बन बैठे हैं कुछ लोग खुद को जो प्रधान समझ बैठे हैं
जी हां, दो आखर पढ़कर अपने आप को सर्वश्रेष्ठ समझकर दूसरों पर रौब झाडने की नीति बहुत पुरानी है। दूसरों को अपने ज्यादा पढ़े लिखे होने का रौब दिखाना हो तो यह नीचे स्टांप पेपर देख लीजिए।
जहां तक मुझे ज्ञात है शपथ पत्र नोटरी से सत्यापित होकर ही प्रस्तुत किया जा सकता है वर्ना तब तक वह शून्य है। पर जब सर पर मोदी लहर में पार हुए छुट भैय्ये नेताओं का हाथ हो तो सारे नियम कानून खुद ब खुद शून्य हो जाते हैं।
यह शपथ पत्र टिहरी जिले के कीर्तिनगर तहसील के ग्राम सभा कोटी जखेड की प्रधान प्रत्याशी द्वारा जनता के सम्मुख दिया गया है। वैसे तो हम महिलाओं को सशक्त और संपन्न बनाने के लाख दावे करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वो खुद स्वतंत्र होकर निर्णय ले। परंतु कहीं न कहीं हम यह जता देते हैं कि उसका कोई भी निर्णय उसका नहीं होगा उसमें किसी और की मौन स्वीकृति होगी। जीतने के बाद महिलाओं के पति पदभार संभालते हैं यह तो सर्वविदित है परंतु यहां तो जीतने से पहले ही यह बता दिया गया है कि महिला सिर्फ मुखौटा है काम तो तीन लोगों ने मिलकर करना है। यह मैं नहीं कह रही हूं बल्कि यह स्टांप पेपर कह रहा है। 
धन्य है आज की राजनीति जिसने महिलाओं की स्थिति को इतना बदतर बना दिया है कि वह जनता के समक्ष अपने आप एक शपथ पत्र भी न दे सके।
जनता जर्नादन से यही उम्मीद करते हैं कि ऐसी सोच को बढ़ावा न दें यह समाज को बांटने के सिवाए कुछ नहीं कर सकते है ।