महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंती और लाल बहादुर शास्त्री जी की 116वीं जयंती के अवसर पर पौड़ी गढ़वाल की चौबट्टाखाल विधानसभा के अन्तर्गत मैटाकुंड इंटर कालेज और सतपुली में विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े व्यक्तियों, स्थानीय प्रशासन और महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के द्वारा क्रमशः "एक छात्र - एक क्यारी व ''मेरा प्रयास, स्वच्छ आंगन-स्वच्छ समाज'' सफाई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। एक छात्र एक क्यारी कार्यक्रम महात्मा गांधी जी की नई तालिम पद्धति पर आधारित है जिसमें बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा से भी जोड़कर कृषि, बागवानी के बढावे पर जोर दिया जा सके। कार्यक्रम के संयोजक समाजसेवी कविन्द्र इष्टवाल ने बताया कि आज बच्चे किताबों की दुनिया में इस कदर खो जा रहे हैं जिससे व्यवहारिक दुनिया में उनका सम्पर्क बिल्कुल टूट सा गया है। समृद्ध समाज की कल्पना के लिए बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान का होना आवश्यक है इसके लिए उनकी शिक्षा के साथ-साथ ऐसा प्रयास होना चाहिए कि वो उत्पादन से लेकर उसकी पैकेजिंग और विक्रय तक की प्रक्रिया को स्वयं समझ सकें। यह एक प्रारंभिक चरण है जिसमें बच्चों को नई तालिम पद्धति के आधार पर क्यारी बनाकर साग सब्जी उगाने को कहा गया है जिसको हमारे द्वारा ही क्रय किया जाएगा। वहीं दूसरे कार्यक्रम मेरा प्रयास स्वच्छ आंगन स्वच्छ समाज को लेकर उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित छोटे-बड़े बाजारों में स्वच्छता को अनिवार्य रूप से अपनाने के लिए समस्त दुकानदारों और आने वाले लोगों को जागरूक करना है। 02 अक्टूबर को इस उद्देश्य के लिए चुने जाने पर कार्यक्रम के संयोजक सामाजिक कार्यकर्ता कविन्द्र इष्टवाल ने कहा कि महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री हमारे देश के ऐसे दो अनमोल रत्न हैं जिन्होंने देश की सेवा में अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। उन्होंने कभी भी पद और पैसे को महत्व नहीं दिया बल्कि साधारण सा जीवन जी कर हमारे लिए एक मिशाल कायम की कि हम भी उन्हीं के पदचिन्हों पर चलकर समाज में जागरूकता की अलख जगा सकें। महात्मा गांधी जी का मानना था कि व्यक्ति को अपने आस-पास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए और इसके लिए स्वयं प्रयास करने चाहिए न कि किसी दूसरे पर आश्रित होना चाहिए। और शायद यही कारण है कि महाराष्ट्र के वर्धा जिले में स्थित सेवकग्राम आश्रम में आज भी महात्मा गांधी जी के बनाए हुए नियमों के अनुसार दिनचर्या चल रही है। कविन्द्र इष्टवाल ने कहा कि गांधी तो आज भी जिंदा हैं जो मरे वो तो शरीर मात्र थे।
कविन्द्र इष्टवाल ने आगे कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों के ज्यादातर बाजारों में सफाई व्यवस्था को लेकर वो जागरूकता नहीं है जो होनी चाहिए जिससे बाजार में आने जाने वाले लोगों को मुंह ढककर चलना पड़ता है। हम तो इस कार्यक्रम के माध्यम से बस एक छोटी सी कोशिश कर रहे हैं कि हमारा हर बाजार स्वच्छ और सुन्दर बन सके। बाजार हमारा है और इसमें हमनें ही रहना है यही भावना हर व्यक्ति के अन्दर विकसित होनी जरूरी है जिसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं। हर व्यक्ति से हम यही अपेक्षा करते हैं कि वो हमारे प्रयास को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देता रहे जिससे यह एक आन्दोलन बन सके।
इस अवसर पर सुरजन सिंह रौतेला, गौरव सुयाल, विकास रावत, विकास पांथरी, अमित रावत, सर्वेन्द्र, राहुल नेगी, रोहन नेगी, अभिषेक, रविन्द्र, धर्मेन्द्र, अवधेश, अमन, आदि उपस्थित रहे।