रैणी, लाता, तोलमा आदि गांवों की जनता ने वनों पर परम्परागत हक बहाल करने तथा नन्दादेवी राष्ट्रीय पार्क का प्रबन्ध ग्रामीणों को सौंपने की मांग को लेकर 21 जून, 1998 को लाता गांव में धरना प्रारम्भ किया और 15 जुलाई को समीपवर्ती गांवों के लोग अपने पालतू जानवरों के साथ नन्दादेवी राष्ट्रीय पार्क में घुस गए। अतः इस आन्दोलन को झपटो छीनो का नाम दिया गया था।
झपटो छीनो आन्दोलन