24 अक्टूबर को मैंने अपने लेख "खुलेआम बिकते नेता" में यह शंका जता दी थी कि पंचायत चुनाव में जीते हुए क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत सदस्य सब्जियों की तरह बिकने के लिए तैयार बैठे हैं और खरीददार उन्हें अपनी औकात के अनुसार उठाकर वोटिंग तक के लिए लुका-छिपी का खेल खेलने के लिए इधर-उधर घूमाते रहते हैं। और मेरी इस बात पर आज हिंदुस्तान और अमर उजाला में छपी खबर ने मुहर भी लगा दी है। जिसमें चमोली के 31 बीडीसी और जिपं सदस्य धारचूला में एक होटल में मिलें हैं। ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के दावेदारों द्वारा अपने पक्ष में जुटाने के लिए खुलेआम खरीदारी करने की रीत नई नहीं है। परंतु इस खरीदारी पर रोक लगाने का कोई तरीका नहीं है।
किडनैपिंग का यह खेल खुलेआम चल रहा है परंतु इस तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है
यह चमोली का ही हाल नहीं है आज हर जिले का यही हाल है हर जगह के चुने हुए पंचायत प्रतिनिधि आजकल ऐसे ही होटलों में भटक रहे हैं। कोई ऋषिकेश, कोई हिमाचल, कोई हरिद्वार, कोई नैनीताल में सैर कर रहे हैं। वोटरों की खरीद फरोख्त पर शिकंजा हुए बिना साफ सुथरे चुनावों का डंका बजाना बंद कर देना चाहिए।
किडनैपिंग, वोटिंग और इलेक्शन