सरकार ने खुलवाई पकौड़ों की दुकान

अगर आप देहरादून में हैं और आपने इस दुकान के पकौड़े नहीं खाए तो आपका देहरादून में रहना बेकार है। जी हां, इस दुकान के मालिक कोई प्रोफेशनल नहीं हैं बल्कि उत्तराखंड में आयुर्वेद विश्वविद्यालय के नियंत्रणाधीन विभिन्न महाविद्यालयों में पढ़ने वाले वे छात्र हैं जिन पर उत्तराखंड के किसी भी नेता की नजर नहीं पड़ी।जो सरकार की बेरुखी के शिकार हैं। इन छात्रों को सरकार की कार्यशैली ने विवश किया है पढ़ाई छोड़कर पकौड़े बनाने पर। 
दरअसल, मेडिकल फीस वृद्धि और छात्रों पर अन्यायपूर्ण रवैये खिलाफ पिछले तीस दिन से आयुर्वेद के डाक्टर छात्र धरने पर बैठे हैं। बल्कि इससे पूर्व उत्तराखंड के मुखिया जी इन छात्रों पर अपनी ताकत आजमा चुके हैं लाठीचार्ज करवा कर। ऐसे में प्रश्न यह है कि न्यायालय के द्वारा आदेश पारित करने के बाद भी उन आदेशों को वर्तमान सरकार लागू करवाने में असफल सिद्ध हो रही है। लोकतंत्र और न्यायपालिका के बाद इन छात्रों के पास पकौड़े बनाने के अलावा सरकार ने कोई विकल्प नहीं छोड़ा। यदि सरकार किसी फैसले का पालन कराने में असमर्थ है तो जनता अपनी समस्याओं को किसके आगे रखे। कांग्रेस के नेता भी आज इन छात्रों का समर्थन करने पहुंचे। इनमें प्रकाश जोशी, राजपाल बिष्ट, लालचंद शर्मा, कविन्द्र इष्टवाल, नवल किशोर, राकेश नेगी आदि रहे।
किसी भी आंदोलन की सफलता में आम जन की सहभागिता बेहद महत्वपूर्ण होती है ऐसे में इन छात्रों की आवाज को जन-जन का समर्थन मिलना अतिआवश्यक है। यह आंदोलन सिर्फ़ इन छात्रों के भविष्य के लिए नहीं है बल्कि यह आने वाले छात्रों के लिए भी एक मील का पत्थर बन सकेगा।