टैक्ट्रर ड्राईवर बना बीडीसी

टैक्ट्रर ड्राईवर बना बीडीसी
जी हां, आपने सही पढ़ा। उत्तराखंड की राजधानी में रहकर टैक्ट्रर चला रहा शख्स जब कुछ नया करने निकला तो किस्मत ने ऐसा रास्ता दिखा दिया कि आज वह छः ग्राम सभाओं वाले क्षेत्र का बीडीसी निर्वाचित हुआ है।
एक साल पहले तक उस युवक ने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह पंचायत चुनाव में प्रतिभाग करेगा। बमुश्किल टैक्ट्रर चलाकर घर परिवार पाल रहा जब नौकरी से ऊब गया तो उसने कुछ नया करने का सोचा। देहरादून शहर की चमक धमक छोड़कर उसने अपने मूल गांव वापस लौटकर आर्गेनिक खेती को स्वरोजगार के रूप में अपनाकर नया जीवन शुरू करने की क्या ठानी उसकी किस्मत ही बदल गई। देहरादून छोड़े उसे अभी सालभर भी नहीं हुआ था कि उसकी आर्गेनिक उपज की मांग बढ़ने लगी। जिसका नतीजा यह रहा कि वह मांग के अनुरूप पूर्ति नहीं कर पाया और उसने अपने गांव के युवा साथियों को भी इसके लिए प्रेरित किया ताकि आज की मिलावटी वस्तुओं के स्थान पर शुद्ध आर्गेनिक उत्पाद जनता को मिल सकें।
उसकी इस पहल का उसके गांव के लोगों के साथ-साथ आसपास के लोगों ने भी खूब सराहा। इसी बीच पंचायत चुनाव का बिगुल बजते ही सब उस युवक की तरफ एक उम्मीद भरी नजरों से देखने लगे और उस पर दबाव डालने लगे कि वह पंचायत चुनाव में प्रतिभाग करे। इसी का नतीजा रहा कि उसने क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने का फैसला किया और अंततः उसकी युवा सोच को जनता का समर्थन मिलते ही वह भारी मतों से निर्वाचित हो गया।
यह कहानी है पौड़ी गढ़वाल के एकेश्वर ब्लाक के ईसोटी गांव के युवा साथी गौरव चौहान की। जो कोटा क्षेत्र पंचायत सीट से निर्वाचित हुआ है। जिसकी मेहनत ने साबित कर दिया यदि आपके पास नया विज़न है और आप कुछ कर गुजरने की हिम्मत रखते हैं तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं होती है।
इससे पूर्व गौरव दगड्या फाउंडेशन के साथ मिलकर विलेज टूरिज्म का भी काम कर रहे थे।
दगड्या फाउंडेशन के निदेशक वरिष्ठ समाजसेवी कविन्द्र इष्टवाल ने बताया कि गौरव पहले देहरादून में उनके साथ रहकर टैक्ट्रर चलाने का काम करता था परंतु उसकी कुछ नया करने की इच्छा का हमने स्वागत किया और उसे हर संभव मदद की ताकि वह अपने उद्देश्यों को पूरा कर सके। कविन्द्र इष्टवाल ने बताया कि दगड्या फाउंडेशन के माध्यम से वे आज चौबट्टाखाल विधानसभा के कई युवाओं को घर बैठे हर माह दस पन्द्रह हजार कमाने का अवसर दे रहे हैं जिससे पलायन को रोकने में अहम् भूमिका निभाई जा सके।
गौरव चौहान से पूछने पर गौरव ने कहा कि उनके अंदर नया करने का जज्बा समाजसेवी कविन्द्र इष्टवाल को देखकर आया। वे भी कविन्द्र इष्टवाल की तरह क्षेत्र में रोजगार, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, जंगली जानवरों से सुरक्षा जैसे धरातलीय मुद्दों पर वृहद स्तर पर काम करना चाहते हैं। अब जब वे निर्वाचित हो गए हैं तो वो कविन्द्र इष्टवाल की सोच के साथ क्षेत्र के विकास करने के लिए तैयार हैं। उनकी प्राथमिकता में जंगली जानवरों से फसलों को सुरक्षा प्रदान करना है। और क्षेत्र के युवाओं को विलेज टूरिज्म से जोड़कर विरान हो रहे पहाड़ों को फिर से आबाद करना है।
हम उम्मीद करते हैं कि सारे नव निर्वाचित पंचायत प्रतिनिध अपने क्षेत्र का "गौरव" बनें।