जनपद चमोली में कर्णप्रयाग से 21 किलोमीटर की दूरी पर रानीखेत-चैखुटिया मोटर मार्ग पर यह तीर्थ स्थित है। आदि बदरी का स्थानीय नाम 'नौठा' है। यहां पर छठी तथा बारहवीं शताब्दी के 14 मंदिरों का पंुज है। हाथ जोड़े गरुड़, गौरी, लक्ष्मी, नारायण, गणेश, महषिमर्दिनी आदि देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां तथा प्राचीन मंदिरों के द्वार-पाटों पर गंगा-यमुना, नृत्य करते गंधर्व, कीर्तिमुखा व्यास आदि के सुंदर चित्रा हैं। आदिबदरी के प्रमुख देवता विष्णु जी की श्यामवर्ण शिला की वरद मुद्रा में दायेें हाथ वाली पद्मरहित मूर्ति के सौंदर्य की ओर दर्शकांे का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित होता है।
आदिबदरी मंदिर पुंज में धर्म और कला का सुंदर समावेश है, जिसमें सत्यम्, शिवम्, सुंदरम् पर आधारित भारतीय जीवन-दर्शन की झलक मिलती है। आदिबदरी में ही भक्तों को सर्वप्रथम भगवान विष्णु के दर्शन मिल जाते थे।
14 मंदिरों का समूह आदिबदरी