बोक्सा उत्तराखण्ड के तराई-भाॅवर क्षेत्रा में स्थित ऊधमसिंह नगर के बाजपुर, गदरपुर एवं काशीपुर, नैनीताल के रामनगर, पौड़ी गढ़वाल के दुगड्डा तथा देहरादून के विकास नगर एवं सहसपुर विकासखण्डों के लगभग 173 ग्रामों में निवास करते हैं।
देहरादून के बोक्सा मेहरी या मेहरा नाम से जाने जाते हैं।
अधिकंाश वि(ानों का मत है कि ऊधमसिंह नगर के बोक्सा पतवार राजपूत घराने से सम्बन्धित हैं, जबकि कुछ वि(ान इन्हें मराठों द्वारा भगाये गये लोगों का वंशज मानते हैं।
भाषाः ये लोग मुख्यतः हिन्दी भाषा बोलते हैं। इनमें जो लोग पढ़ना-लिखना जानते हैं, वे देवनागरी लिपि का प्रयोग करते हैं।
सामाजिक व्यवस्थाः ये चार सामाजिक वर्गों - ब्राह्मण, क्षत्राीय, अहीर तथा नाई बुक्सा में बंटे हैं। पिफर भी सभी एक-दूसरे से मिल जुलकर रहते हैं।
हिंदू जातियों के समान ही ये अंतर्विवाही समूह के होते हैं। इनमें विवाह मात्रा एक अनुबंध होता है, जिसे पति-पत्नी में से कोई भी कभी भी समाप्त कर सकता है।
इनमें अनुलोम, प्रतिलोम तथा अंतर्जातीय विवाह प्रचलित है।
यद्यपि इनमें एक-विवाह तथा बहु-विवाह दोनों का प्रचलन है, लेकिन धीरे-धीरे एक-विवाह अधिक लोकप्रिय हो रहा है।
इनमें ज्यादातर संयुक्त और विस्तृत परिवार पाये जाते हैं लेकिन कुछ केन्द्रीय परिवार भी देखने को मिलते हैं।
परिवार पितृवंशीय और पितृसत्तात्मक होता है। यद्यपि सम्पत्ति का हस्तांतरण पिता से पुत्रा को होता है, लेकिन पुत्राी को भी सम्पत्ति का उत्तराधिकारी माना जाता है।
इनमें बहुपत्नी प्रथा का प्रचलन है, किंतु बहुपति प्रथा नहीं है। पूर्व वैवाहिक तथा अतिरिक्त वैवाहिक यौन संबंधों का प्रचलन है।
इनमें कुछ मात्रा में क्रय-विक्रय का भी प्रचलन है। इस विवाह में वर पक्ष द्वारा वधू मुल्य ;मालगतिद्ध देना पड़ता है।
धर्मः बोक्सा हिंदू धर्म के कापफी निकट है। ये लोग महादेव, काली, दुर्गा, लक्ष्मी, राम, कृष्ण आदि की पूजा करते हैं।
काशीपुर की चैमुंडा देवी इनमें सबसे बड़ी देवी मानी जाती हैं। ग्राम देवी की पूजा पवित्रा स्थान पर की जाती है जो गांव के बाहर होता है और उसे 'थान' कहा जाता है।
प्रकृत्ति पूजा, जीव पूजा आदि भी हिंदुओं के समान ही प्रचलित है।
त्यौहारः ये हिंदुओं के ही समान होली, दीपावली, दशहरा, जन्माष्टमी आदि त्यौहारों को मनाते हैं। होगण, ढल्या, गोटरे तथा मौरो आदि इनके निजी त्यौहार हैं।
अर्थव्यवस्थाः कृषि, पशुपालन एवं दस्तकारी इनकी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। ये नौकरी करना पसन्द नहीं करते हैं।
इनका प्रमुख भोजन मछली और चावल है। इसके अतिरिक्त ये लेाग मक्का और गेहूं की रोटी और दूध दही का प्रयोग करते हैं।
राजनीतिक व्यवस्थाः बोक्सा समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार है। कई परिवारों से मिलकर एक बोक्सा गांव ;मंझराद्ध का निर्माण होता है। गांव में एक प्रधान ;मुखियाद्ध होता है जो गांव के स्तर पर सर्वोच्च होता है।
इनकी विरादरी पंचायत न्याय एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उत्तरदायी है जो कि चार स्तरों में बंटी होती है। सबसे ऊपर का अधिकारी तखत होता है, पिफर क्रमशः मुंसिपफ, दरोगा और सिपाही होते हैं। इन सभी के अधिकार वंशगत होते हैं और इन्हें समाज में बड़े सम्मान से देखा जाता है।
गांव की पंचायत में तीन स्तर होते हैं 'सरपंच, ग्राम पंचायत सभापति और मुखिया'। ये क्रमशः न्याय पंचायत अध्यक्ष, ग्राम पंचायत अध्यक्ष और गंाव मुखिया होते हैं। ये सभी मिलजुल कर गांव का प्रशासन चलाते हैं।
बोक्सा