जौं भयों की होणि होली वो कठा राला।
अणमिला भयों को लोग ठट्टा लगाला।।
मन पवित्र रखणो अपणों कांसा सि थाली
भलु-बुरू भौ कुछ भि ह्वेगो नि देणी गाली
अपणो भैई अंपणो हि च, लोग बताला।
अणमिला भयों को लोग ठट्टा लगाला।।
अपणों विराणों क्वी भि नी छ हम छवां एक
माँ भी हमारि एक हि छ रूप अनेक
एकजुट जो भैई राला, दुनिया डराला
अणमिला भयों को लोग ठट्टा लगाला।
पिछड़ि रैंद अपणो भै जो अगड़ि बढ़ावा
हम भि कै से कम नि छवां, दुनियां बतावा
अपणो देखि खुष जो राला, वो सुखि राला
जल़दरा-भयों को लोग ठट्टा लगाला।
बीर-भूमिका सपूत छां वखी वास
कना भग्यान छां जख द्यबतौं को निवास
एकजुट जो राला द्यवता आषीश द्याला
अणमिला भयों कि वो भि ठट्टा लगाला।।