शुक्लि फंच्छि

तेरा घास की षुक्लि फंच्छि तौ बौणु बुलौन्दा 
कख छऊं क्या छऊं मैं तै कुछ पता नि रौन्दा 
   कख छऊं क्या छऊं...................................


भेलुमा घास का बीच चूड़यूं का छुमणाट मा 
घसेन्यी दगड़़यों की मिठी बातु का गुमणाट मा 
तेरी आंख्यू की चलक-बल्क सुदबुद भुलौन्दा 
   कख छऊं क्या छऊं...................................


बसग्यालि रूम-झुम रूम-झुम बरखा का झुमणाट मा 
स्वटगी लेकी गोरू चरोंदी घाडयूं का रणाट मा 
तेरा खुदेड़ गीत समलीक पराणी खुन्देदा 
   कख छऊं क्या छऊं...................................


सुम, सुम, सुम बगदी रौल्यूं पाणी का सुमस्याट मा,
पलंेथरौ मा रात की द्वी दगड़यों का खुबसाट मा 
बातु बातु मा खिच हैसणों, मन मेरो रिझौन्दा
   कख छऊं क्या छऊं...................................


सौण भादौं का मैना हरयां घास का झिपड़ाट मा
कुयेड़ी त्वै तैं इनों लुकौन्दा डालि-वोटयंू की आड़मा
पुर्णमासी की जूनि तैं जन बादल ढ़कौन्दा 
   कख छऊं क्या छऊं...................................


छुणक्यालि दथड़ि करछा चदरि-जूड़ि मुण्डिमा,
कबि बांज की डाल्यूं का टुखू धोती जई रौन्दा घुण्डयूं मा 
स्यूंन्दी की लटुली बथौऊ मा मुखड़ी ढकौन्दा
   कख छऊं क्या छऊं............................