करणी मिन क्याजि ख्वै होलो तेरो,
कैको नी हुयां जनु जोग मेरो।।
घाम अछैकी रूमुक ह्वै जांदा,
स्वीलि घाम कांठंयूमा रै जांदा
अणथ उडणू कु मन बोद मेरो,
कैको नी हुयां जनु जोग मेरो।।
अपणा-पराया कैका नि हूंदा,
यखुलि-यखुलि पराणी यो रून्दा,
कवतै जी रालो दुख को यो घेरो
कैको नी हुयां जन जोग मेरो।।
आग भुबरौंद कवि कागा बसदा
पापी पराणि बौल्या सि हंसदा
कैजी समलू कु अपणो च मेरो,
कैको नी हुयां जनु जोग मेरो।।
सरग खरेंद पडद कमान,
जिकुड़ि मा चुबद तीर समान
मौल्दा क्वी घौऊ क्वी हूंदा गेरो,
कैको नी हुंया जनु जोग मेरो।।
चांठयू को ध्वीड़ मन डफकणू चा,
आंख्यू बटि पाणि टप टपकणू चा।
आंसु पुजदारो क्वी नीचा मेरो,
कैकी नी हुंया जनु जोग मेरो।।