राजनीति, समाज, धर्म इन तीनों षब्द कार्यों पर
अगर हर राज्य नियंत्रण रखे तो भारत देष को
फिर से सोने की चिड़िया कहलाने का हक भी मिल सकता है
हर राज्य का एक ही विचार होना चाहिए कि
उनका राज्य अपना घर है और भारत जन्मभूमि
आज भी 25 पैसे में चाय 25 पैसे में समोसा
मिल सकता है, जो किसी समय मिलता था
जरूरत सिर्फ पैसों के चलन बदलने की है
पहले भी भारत कार्य जीवन चलता था
आज भी इसी स्थिति में चल सकता है
सिर्फ अपने जीवन कार्यों के
भौतिक विचारों को बदलने की जरूरत है
पहले बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक
आषावादी, आत्मविष्वासी और देषप्रेमी थे
जन आज निराषावादी, निर्बल, स्वयं प्रेमी और दुःखी है
आज भारत के राज्यों के षहरों में कितनी ही ऐसी भूमि
सरकारी, सामाजिक, धर्म स्थान, आश्रम आदि
तैयार बने भवन खण्डहर की तरह पड़े हैं
जो सिर्फ निषान बन कर खड़े हैं
और गरीब, मजदूर, कलाकार
झोपड़ियों एवं सड़कों पर रातें गुजारते हैं
आर्थिक स्थिति को संभालने के लिये जनता और
सरकार को आर्थिक समस्या को समझना होगा