आर्य समाज व दयानन्द सरस्वती 

दयानंद सरस्वती को भारत का मार्टिनलूथर किंग कहा जाता है। 
इनका मूल नाम मूल शंकर था। इनके गुरू स्वामी बिरजानंद थे।
इनके प्रारम्भिक गुरू पूर्णानंद ने इन्हें दयानंद नाम दिया।
इन्होंनें पहली भारत स्वराज व स्वदेशी तथा राष्ट्र भाषा शब्द का प्रयोग किया था।
वैलेन्टाइन शिरोल ने इन्हें भारतीय अशान्ति का जनक कहा था। 
1867 में हरिद्वार से इन्होंनें पाखण्ड खण्डिनी पताका लहराई।
1875 में बम्बई में आर्य समाज की स्थापना की जिसका कार्यालय बाद में लाहौर स्थानांतरित किया। (1877)
1874 में इन्होनें सत्यार्थ प्रकाश नामक रचना प्रकाशित किया।
1882 मंे गौ रक्षणी सभा की स्थापना की।
इनकी अन्य पुस्तकें वेदभाष्य भूमिका व वेदभाष्य हैं।
1883 में इनकी मृत्यु हो गयी।
1886 में शिक्षा के मुद्दे पर आर्य समाज का विभाजन हो गया।
लाला हंसराज ने डी0ए0वी0 संस्थाओं की स्थापना की।
जबकी स्वामी श्र(ानंद (मुंशीराम) ने 1902 में गुरूकुल संस्था की स्थापना की।