अंगटोप

दुन्या बदले तैं मवकू अंगटोप ह्वैगे
छूंदि-खांदि मवसि कनी हरचण लैगे।।
  दादा जी छा रूप्या बाज 
  बाबु ना भी कौरे राज 
  पर खौल्यूं रै गाया आज 
नौना-बाला पढ़न वाला, तब रिटैर ह्वैगे
छूंदि-खांदि मवसि कनी हरचण लैगे।।
  नौनि छना ज्वान-ज्वान 
  सबि बोदन दीणु दान
  निथर त्यगण हमुन ज्यान 
बुडैन्दी दौं क्या जि कन गौला गिद्वड़ि लैगे
छंूदि-खांदि मवसि कनी हरचण लैगे
  नाज भरयां छा कुठार 
  चल्दो छौ जौंको उधार 
  सबि ह्वै गाया वार-पार 
अब त भितर फुनै एक खालि कुन्नो रैगे 
छूंदि-खांदि मवसि कनी हरचण लैगे 
  गोरू का छा जख गौठ्यार 
  लैंदि भैंसि गौडि चार 
  ध्यू-दूध की छे मछ्वाड़
अब त कीला परै यकुड़ो मोति ढांगो रैगे 
छूंदि-खांदि मवसि कनी हरचण लैगे।।
  हे चुछौं अबि संभलि जावा 
  कनो जमनो बदलि गाया 
  देखा दौं तख क्य ह्वै गाया,
कुटुम बड़िगे कूड़ि-पंुगड़ि गिरवी धरैगे 
छूंदि-खांदि मवसि कनी हरचण लैगे।।