अनुच्छेद - 153 गर्वनर की नियुक्ति और कर्तव्य 

थ् 153 में प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल का प्रावधान किया गया है । 
थ् सातवे संविधान संशोधन 1956 के तहत यह निर्णय लिया गया कि हर राज्य का एक गवर्नर होगा। लेकिन दो या दो से अधिक राज्यों के लिए भी एक ही गर्वनर हो सकता है। 
अनुच्छेद -154 
राज्य की कार्यपालिका शक्ति 
थ् राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह  इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा। 
थ् गर्वनर दो रूप में कार्य करता है -
1. राज्य के मुख्य कार्यपालक के रूप में । 
2. केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच लिंक के रूप में ।
अनुच्छेद- 155 राज्यपाल की नियुक्ति 
थ् राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। 
थ् 156-पदावधिः राज्यपाल की पदावधि 5 वर्ष की होती है। 
थ् बी0 आर0 अम्बेडकर के अनुसार जिस प्रकार राष्ट्रपति को भ्रष्टाचार, संविधान उल्लंघन, रिश्वत खोरी, दुर्वव्यवहार के आधार पर हटाया जाता है। उसी प्रकार गर्वनर को भी हटाया जा सकता है। 
थ् गर्वनर की नियुक्ति में 2 बातों का ध्यान रखना अनिवार्य है-
थ् वह दूसरे राज्य का व्यक्ति होना चाहिए। 
थ् उसे नियुक्त करने के लिए राष्ट्रपति उस राज्य के मुख्यमंत्राी से सलाह लेता है। 
गर्वनर के कार्यकाल की कुछ शर्तंे ;158 अनु0द्ध
थ् वह संसद या विधान सभा के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है। 
थ् यदि संसद के किसी सदन या ऐसे किसी राज्य के विधान मण्डल के किसी सदन का कोई सदस्य राज्यपाल नियुक्त हो जाता है, तो यह समझा जाएगा कि उसने उस सदन में वह स्थान राज्यपाल के रूप में अपने पद ग्रहण होने की तारीख से रिक्त कर दिया है। 
थ् वह व्यक्ति लाभ के पद पर भी नहीं होना चाहिए। 
थ् वेतन व भत्ता संसदीय अधिनियम से राज्यपाल को प्रदान किया जाता है, जो संचित निधि से दिया जाता है और राज्यपाल के वेतन व भत्ते अनुसूची 2 में रखा गया है। 
थ् एक ही व्यक्ति जो 2 या 2 से अध्कि राज्यों के लिए गर्वनर का कार्य कर रहा हैं उसके वेतन का निर्धरण राष्ट्रपति करेगा।
अनुच्छेद-157
राज्यपाल नियुक्त होने के लिए योग्यताऐं 
थ् कोई व्यक्ति राज्यपाल नियुक्त होने का पात्रा तभी होगा, जब 1. वह भारत का नागरिक हो। 
2. वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
अनुच्छेद-159 राज्यपाल की प्रतिज्ञा 
थ् गर्वनर के खिलापफ आपराधिक कार्यवाही उसके कार्यकाल में नहीं हो सकती है। 
थ् व्यक्तिगत स्तर पर सिविल कार्यवाही 2 माह के नोटिस पर होती है। 
थ् ऐसी स्थिति में जब राज्यपाल गर्वनर के रूप मंे कार्य नहीं कर रहा हो, तो राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश को राज्यपाल नियुक्त कर सकता है। 
अनुच्छेद-213
थ् इसके अन्तर्गत राज्यपाल भी राष्ट्रपति की भांति अध्यादेश जारी कर सकता है। 
थ् अध्यादेश तभी जारी किया जायेगा, जब सदन सत्रा में न हो।
अनुच्छेद-161 क्षमादान की शक्ति 
थ् राष्ट्रपति को उन सभी मामलों में जिनमें मृत्यु का दण्डादेश हुआ हो के लिए अनंत शक्ति प्राप्त है। 
थ् जबकि राज्यपाल को मृत्यु के दण्डादेश के विरू( क्षमादान की  शक्ति प्राप्त नहीं है।