अनुच्छेद-32 संविधान की आत्मा 

यदि किसी व्यक्ति के मूल अधिकारों का हनन होता है। तो वह सर्वोच्च न्यायालय की शरण ले सकता है।
परमादेशः इसमें न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालयों को और प्राधिकारी अपने अधीनस्थ अधिकारी को कुछ कार्य करने का आदेश देता है। 
प्रतिषेध याचिकाः इसके अनुसार कुछ कार्य करने से रोका जाता है। ऐसे कार्य जो अपने अधिकार क्षेत्रा से बाहर हंै। 
उत्प्रेषण याचिकाः यह रिट केवल अपने अधीनस्थ न्यायालयों को जारी की जाती है, इसे प्रशासनिक कार्याें के लिए जारी नहीं किया जा सकता। लेकिन वर्तमान में यह घोषित किया गया है। इसे प्रशासनिक अधिकारियों के खिलापफ भी जारी किया जा सकता है।