असहयोग आंदोलन 

1920 में गांधी जी के नेतृत्व असहयोग आन्दोलन की शुरूआत हुई, इसी दौरान गांधी जी ने केसर-ए-हिन्द की उपाधि त्याग दी।
5 पफरवरी 1922 को चैरी चैरा में भीड़ द्वारा 22 पुलिस कर्मियों को जिंदा जला दिया गया, पफलस्वरूप 12 पफरवरी 1922 में गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन को समाप्त घोषित किया।
1923 में चितंरजदास तथा मोतीलाल नेहरू द्वारा इलाहाबाद में स्वराज पार्टी की स्थापना की। स्वराज पार्टी को 1923 के चुनाव में सपफलता मिली तथा वे 1925 में विट्ठल भाई पटेल को केन्द्रीय विधायिका का अध्यक्ष निर्वाचित करवाने में सपफल रहे।
1925 में सी0आर0 दास की मृत्यु व मोतीलाल नेहरू के इण्डियन सैंडहस्र्ट कमेटी का सदस्य चुने जाने से स्वराज पार्टी का समापन हो गया।