बाँद की झलाक, उलरया पराणी देखी की बगछट ह्वे जान्दा
कनि बांद भली या।
झुमुकि तेरो झुमक्यालि, भलि देखेन्दा फूंदि कालि
मुड़ि मा धोती को छोड़ रात देखेन्दा जुनख्यालि,
मुखड़ि हलदयणा प्यारी कनी दींदा विराज
उलरया पराणी देखी की बगछट ह्वे जान्दा
कनि बांद भली या ।।1।।
रतव्यांेणी जन्दरी लगौंदा, बनि-बनि का गीत गौंदा
भवड़ंयु को आटो फील्यूं मा औन्दा, गोरी फील्यूं मा इन देखेन्दा
केला सी कुगंली फील्यूं मा ह्यूं सी जमी जान्दा,
उलरया पराणी देखी की बगछट ह्वे जान्दा
कनि बांद भली या ।।2।।
रसीला गीतू का झमका, विगरैली खुटयूं की ठमका,
अनार सी मेलि जनी देखिकी दतुण्यू कि दमका,
हुड़िकि सी तीगुड़ि देखी की भूख हरचि जान्दा
उलरया पराणी देखी की बगछट ह्वे जांदा
कनि बांद भली या ।।3।।
ओबरा बटी भैर औन्दा कालि रात कि सी जून देखेन्दा
आंख्यू को अंसदरयू को पाणि बांद को आंगि रूझौन्दा
सरमै की मुखड़ी झुकैकी सट बौगा ह्वे जान्दा
उलरया पराणी देखी की बगछट ह्वे जान्दा
कनि बांद भली या ।।4।।
गुस्सा मां जब बांद रौन्दा, विगरैली आंख्यु घुरौन्दा
हत्यू मा दथड़ी मप्योन्दा, दन्तु ना उठण्यूं चपौन्दा,
अगड़ि-पिछड़ि टपरौन्दा, फिर खिंच हंसि जान्दा
उलरया पराणि देखी की बगछट ह्वे जान्दा
कनि बांद भली या ।।5।।
बाँद की झलाक