बद्रीदत्त पाण्डेय

यद्यपि इनका मूल निवास एवं शिक्षा स्थल अल्मोड़ा था, लेकिन जन्म 15 पफरवरी 1882 को कनखल  ;हरिद्वारद्ध में हुआ था। 1913 से वे अल्मोड़ा से प्रकाशित 'अल्मोड़ा अखबार' के सम्पादक बने। अंग्रेजी शासन के प्रति तीखे और व्यंग्यात्मक लेखों के कारण तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर ने अखबार को सन् 1918 में प्रतिबंधित कर दिया। इसके बाद उन्हांेने अल्मोड़ा से शक्ति साप्ताहिक का प्रकाशन शुरू कर दिया। 
कुली उतार, कुली बेगार व कुली बर्दायश आदि प्रथाओं के विरू( आंदोलन में उनके सपफल नेतृत्व के लिए उन्हेें कुर्मांचल केसरी की पदवी से विभूषित किया गया। 
स्वाधीनता संग्राम के दौरान वे पांच बार जेल गये। अपने जेल प्रवास में उन्होंने कुमाऊँ का इतिहास लिखा। 
जीवन में उन्हें दो स्वर्ण पदक मिले थे, जिन्हें उन्होंने 1962 में भारत-चीन यु( के समय देश के सुरक्षा कोष में दे दिया था। 
1937 मंे केन्द्रीय एसेम्बलीऋ 1946 मंे उत्तर प्रदेश में काॅउन्सलर और 1955 में लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए। 13 जनवरी सन् 1945 को उनका निधन हुआ। 
कुमाऊँ के कुलीन ब्राह्मणों द्वारा हल न चलाने की प्रथा को 1928 में बागेश्वर में उन्होंने स्वयं हम चलाकर तोड़ दिया। स्वतंत्राता आन्दोलन के दौरान वे 1830, 1832 और 1940 में जेल गये। 
उन्हें अल्मोड़ा कांग्रेस की रीढ़ कहा जाता था। भारत छोड़ो आन्दोलन के समय अल्मेाड़ा में सबसे पहले इन्हीं को नजरबंद किया गया था। 
1937 में वे उ.प्र. एसेम्बली, 1946 मंे प्रांतीय एसेम्बली तथा 1957 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। उनका निधन मई 1957 में हुआ।