बडुलि

जब बटि छोड़ीक गै तू मांजि मी तैं बडुलि नि लगदी।।


सौंण - भादो का मैना मुुंगरी पकदी छै,
सुड़ि-बुड़ि कखड़ी सग्वड़यूं लगदी छै,
खित-खित तब मी तैं बडुलि लगदि छै,
जब वटि छोड़ीक गै ......................


दगड़या भग्यान डेरौं मु जाला,
अपणो सुख-दुख मा मू लगाला,
मां की हत्यूं को पकयुं खाणु खाला,
समलीक यूं बातु तैं, मां मी तैं डेरा औण की नि सुझदी,


बार - त्यौहार जब क्वी आला,
हैंसी - खेली मेरा दगड़या मनाला 
मी जना अभागी टपराणा राला 
पापी पराणी बुझौदूं, तेरि ममता की आग नि बुझादी।।