न रो प्यारी बेकार रूंण-विवौण
हमरि लाड़ि न प्यारी बौड़ि की नी औण।।
भाग मा नी छयो वीं को लाड़-प्यार,
आठ मैना तड़फैकी छोड़ि गाया घर
द्वी मैना होई गैना लगे मैना सौंण
हमरि लाड़ि न प्यारी बौड़ि की नी औंण।।
भूलि जा तू वीं की गोरी गोल मुखड़ी
ख्वली गिची हत्यूं मंगा रोटी की टुकड़ी
रोई-विवेकी प्यारी अब कख जांण
हमरि लाड़ी न प्यारी बौड़ी की औंण।।
वोंण घर जब जैली याद होली औंणी
सौंण की कुयेड़ी देखी तू होली वौलेणी
जै गदनी लाड़ी होली घास कू नी जाणो
हमरि लाड़ि न प्यारी बौड़ि की नी औणों।।
छुटी छना यखी वीं की झगुली गुदड़ी
रात-दिन देखी की तैं फअदा जिकुड़ी
दिन रौन्दू चूप-चाप रात रौन्दू रूणूं
हमरि लाड़ि न प्यारी बौड़ि की नी औण।।
करणी का पेट बैठी क्वी भी नी देखदो,
इनी जी जणदो मी त घौर नी भेजदो,
पराणी की बात प्यारी कै मा बतौण
हमरि लाड़ि न प्यारी बौड़ि की नी औण।।
याद औन्दा भारी वीं को नचणो-हंसणो
जोर कै दगैकी वीं को उंठणी पलकौणों
लीगे सब अपणा दगड़ा उडिके पराण
हमरि लाडि न प्यारी बौड़ि की नी औण