1858 में भारत में कंपनी शासन का अंत हुआ व ब्रिटिश संसद का शासन प्रारम्भ हुआ।
अब गर्वनर जनरल वायसराय कहलाने लगा, पहला वायसराय लार्ड कैंनिग था।
कोर्ट आॅपफ डाइरेक्टर्स व बोर्ड आॅपफ कन्ट्रोल के समस्त अधिकार भारत सचिव को दे दी गई। इसकी सहायता के लिए 15 सदस्यीय भारत परिषद् का गठन हुआ।
1861 के अधिनियम बजट पर प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं दिया गया।
बाजार का प्रारम्भ हुआ तथा कलकत्ता, बम्बई व मद्रास में हाई कोर्ट की स्थापना हुई।
1892 के अधिनियम में पहली बार अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली का अपनाई गई।
1909 के मिण्टो सुधार में सांप्रदायिक निवार्चन प्रणाली का आरम्भ हुआ।
दो भारतीयों को इग्लैण्ड में भारत परिषद् में नियुक्त किया गया। सैÕयद हुसैन विलग्रामी व के0सी0गुप्ता।
वायसराय के कार्यकारिणी में पहली बार भारतीय सदस्य एस0पी0सिन्हा को सम्मिलित किया गया।
1919 के अधिनियम द्वारा द्वैध प्रणाली अपनायी गयी (भारत में द्वैध शासन के जनक लिनियस कार्टियस माने गए है 1765 बंगाल में लार्ड क्लाइव के साथ)
भारत में प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली अपनाई गयी तथा 10 प्रतिशत भारतीय जनता को मताधिकार प्रदान किया गया।
मुस्लिमों के साथ-साथ सिक्खों, आंग्ल भारतीयों, ईसाइयों व यूरोपीयों को भी पृथक निर्वाचक अधिकार दिया गया।
1919 में ही भारत में लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई।
1935 का अधिनियम विस्तृत परिपत्रा था। इसमें 321 अनुच्छेद 10 अनुसूचियां सम्मिलित थीं।
केन्द्र में द्वैध शासन की स्थापना की गई।
1935 के अधिनियम द्वारा संघीय न्यायालय की स्थापना हुई। मौरिस ग्वानिन-मुख्य न्यायाधीश व एम0 आर0 जैकेब व एम0 एस0 सुल्तान अन्य न्यायाधीश थे।
आरबीआई की स्थापना भी इसी अधिनियम के अन्तर्गत हुई।
बर्मा को भारत से अलग कर दिया गया।
भारत में ब्रिटिश शासन का प्रारम्भ