17वीं शताब्दी में गुराड़ गांव पौड़ी में जन्म लेने वाली अपूर्व शौर्य, संकल्प और साहस की धनी वीरांगना रौतेली को गढ़वाल के इतिहास में 'झांसी की रानी' के नाम से जाना जाता है। 15 से 22 वर्ष की आयु के मध्य यु( लड़ने वाली तलू रौतेली सम्भवतः विश्व की एकमात्रा वीरांगना हैं। उसने कत्यूरियों को परास्त कर अपने पिता ;धोकदार भूपसिंह गोर्लाद्ध व पति का बदला लिया। उसकी घोड़ी का नाम 'बिन्दुली' था।
बिन्दुली और तीलू रौतेली