2014 में जब मोदी सरकार बनी और राज्य मंत्री अजय टम्टा को बनाया गया तो सबने कहा उसके अतिरिक्त कोई भी मोदी जी की विश्वसनियता को जीत नहीं पाया! उस समय बेशक कारण भी रहा होगा कि बेदाग छवि को अवसर देना चाहिए! क्योंकि खंडूरी जी अधिक आयु के हो गए थे, महारानी जी आम जनता के बीच जाना नहीं चाहती थी, भगत दा भी आयु के कारण बाहर रहे और निशंक जी कुम्भ आरोप के कारण!
इन पांच सालों में मोदी जी की कार्यशैली और कार्य प्रकृति को सबने देखा पर समझ कोई नहीं पाया! अजय टम्टा इसी में खुश रहे कि राज्य मंत्री तो बन ही गया हूं अगली बार मंत्री पद तो मिल ही जाएगा, परंतु कहते हैं न कर्म के बिना फल नहीं मिलता! और पांच साल में वो जनता तक मोदी जी के लक्ष्य को पहुंचाने में कामयाब नहीं हो पाए सो 2019 में सांसद बनकर ही रह गए!
वहीं दूसरी तरफ सबसे कठिन डगर थी निशंक जी की जिन्हें हरिद्वार को साधने के साथ-साथ अपने ऊपर लगे कुंभ दागों को भी धोना था और मोदी जी का विश्वास भी जीतना था! चाणक्य सुना सबने है देखा किसी ने नहीं है और न ही चाणक्य नीति का अध्ययन किया है। परंतु निशंक जी को चाणक्य न कहें पर चाणक्य नीति का ज्ञाता अवश्य कह सकते हैं! उन्होंने पांच साल में मोदी जी के विश्वास को जीत कर नए सिरे से राजनीतिक पारी की जो शुरुआत की है उसने सबकी बोलती बंद कर दी है! अब उनके पास बेहतरीन अवसर है अपने वर्चस्व को बरकरार रखते हुए विरोधियों को भी साधे रखना, शायद उनकी जगह कोई दूसरा हो तो वह यह सब न कर पाए!
मोदी जी के मास्टर स्ट्रोक से सब अस्त व्यस्त हो गए हैं जो कल तक निशंक जी को हरिद्वार लोकसभा सीट पर बाहरी बताकर विरोध कर रहे थे आज चरणवंदना करते नजर आ रहे हैं!
अब तो बस निशंक जी से उम्मीद कि जानी चाहिए कि प्रदेश हित में जो बेहतर हो उसे क्रियान्वित कर अपने पद और कद को बढाने के साथ साथ मोदी जी के नाम पर मिली भारी जीत के मान को भी बनाए रखे ।
निशंक जी को जीत और मंत्री बनने की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
©सुनील सिंह चौहान "गढ़वाली"
चाणक्य नीति के ज्ञाता