दगड़या हे दगड़या तू चल मेरा दगड़ा
बदरी-केदार की भूमि मा
दगड़या हे दगड़या तु हिट मेरा दगड़ा घूमी कि औला पाड़ मा।
हयूंचली डाड्यूं की ठंडी-ठंडी हवा
रैबार दीणी च तुम मीमू अवा
हिटी कि जौला, झिट बैठि जौला
झपन्यालि डाल्यू का छैल मा।। दगडया ..........
गंगा जमुना की जख षोभा न्यारी
ऋशि-मुनियों की राया भूमि प्यारी
बदरी-नरैण ह्वीनि देवी-धवता दैणा
षिवजी वसीने कैलाष मा।। दगडया .........
छोया छछेड़यूं को ठंडो-ठंडो पाणी
उचि-निसि डाड्यूं मा उलरेन्दा प्राणी
घुग़ती घूरलि करनी, बाजलि मूरली
बांज बुरांस की डाडंयू मा, दगड़या हे दगड़या........
ह्वीड कू तैं अपणो जनो चांठो प्यारो
द्यवतो को डेरो च उनी पहाड़ मेरो
षीश नवोला, आषीश पौला
द्यवता नचैला मंडाण मा।। दगडया ........................