देव - भूमि

कु भग्यान होलो मांजी हरिद्वार का ढ़ीसा ,
बदरी को आषण जख कैलाष का नीसा।।


नीलकण्ठ महादेव वो बूढ़ो केदार,
पंछी हूंदो देखी औदो रौंतेलि धार।।


ऊखी - जोषीमठ होली द्यवतौं की थाती,
स्वर्ग जन लगद मा फूलू की घाटी।।


धौलि भागेरथी, जमुना खिलखिलै कि बगदा,
पूरवी - पष्चिमि नयार कनी स्वाणी लगदा।।


चन्द्रबदनि कुंजापुरी अर सुरखण्डा की धार 
रंसुली कुलाई बांज - बुरांष की बयार।।


तै खैर की खाट होलो अछरयूं को डेरो,
सेम मुखेम रौंद मांजी नागू को घेरो।।


धन्य - धन्य त्वैकु मांजी तिन जन्म द्याया,
तैं भूमि मा जन्म लेकी पुण्य क्माया।।


कुछ नी चैंदो मी तैं मांजी मेरी विनती ई चा
जन्मु-जन्मु तैं जन्म ल्यूं मी तौं डांडयूं का बीचा।।