द्वाराहाट मंदिर समूह 

अल्मोड़ा से 38 किलोमीटर दूर सिंधुतल से 1530 मीटर ऊँचाई पर स्थित द्वाराहाट, कत्यूरी राजवंश के राजाओं के कलाप्रेम और आस्था का केन्द्र रहा है। महापंडित राहुल सांकृत्यायन के अनुसार 11वीं तथा 12वीं सदी में इस स्थान पर 30 प्राचीन मंदिरों तथा 365 कुंडांे ;बावड़ियोंद्ध का निर्माण कराया गया था। प्रथम विश्वयु( के पश्चात् सन् 1918 में इन मंदिरों का जीर्णो(ार किया गया। इस मंदिर समूह का सर्वोत्कृष्ट मंदिर गूजरदेव का मंदिर है। सभी मंदिर आठ विशिष्ट वर्गों में चि“िनत किए गए हैं, जिन्हें क्रमशः 1. रतनदेवल 2. कचहरी 3. मन्देव 4. गूजरदेव 5. मृत्युजंय 6. बद्रीनाथ 7. केदारनाथ तथा 8. हरिसिंह देवल कहा जाता है, किंतु रतनदेवल ;रत्नदेवद्ध, कचहरी तथा मन्देव ;मनियाद्ध समूह ही प्रसि( हैं। इन मंदिरों के कारण द्वाराहाट को 'हिमालय की द्वारिका' कहा जाता है। वास्तव में कत्यूरी शासकों ने इसे द्वारिकापुरी बनाने का प्रयास किया था। वर्तमान में श्री बद्रीनाथ, केदारनाथ तथा मृत्युंजय मंदिरों में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। द्वाराहाट के ऊपर दूनागिरि पर्वत पर दुर्गा देवी का प्राचीन मन्दिर है। इस क्षेत्रा में दुर्लभ वनस्पतियां पाई जाती हैं। दुधारू गाय-भैंसें इन्हें चरकर विशिष्ट स्वाद वाला दूध देती हैं। इसीलिए यहां का दही पूरे कुमाऊँ में प्रसि( है। यहां पर इजीनियरिंग काॅलेज तथा राजकीय पाॅलिटेक्निक स्थापित किये गये हैं।