एक चमत्कारिक औषधि माँ का दूध

माँ का दूध कुदरत का वो अनमोल तोहपफा है जो शिशु को सुपाच्य आहार के साथ-साथ रोगों से लड़ने की बेशकीमती कूवत भी देता है। यही नहीं, यह माँ और बच्चे के बीच वह अतुलनीय सेतु भी निर्मित करता है जिसे सिपर्फ दूध पिलाने वाली माँ ही महसूस कर सकती है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ये स्तनपान ही है  जो स्तनधारियों को शिशु विकास ही नहीं पूरे जैव विकास में सबसे ऊँचा दर्जा देता है और हमारी मानव जाति को इनमें भी सबसे ऊपर। अद्भुत है प्यार, ममता और वात्सल्य से भरा सृष्टि का अपने नव आगन्तुक की सेवा में तैयार रखे जाने वाला यह रेडीमेड जीवन रक्षक घोल। 
 माँ का दूध अनमोल आहार व जीवन रक्षक कवच के साथ-साथ विकास क्रम में हमारे सर्वोत्कृष्ट होने की निशानी भी है, इसलिए तो माँ के दूध के जुमले से हमारा गौरवशाली इतिहास भी पटा पड़ा है। खैर इधर हालिया शोधों से भी पता चला है कि माँ का दूध पीने वाले बच्चे बाहरी दूध पर आश्रित बच्चों से कहीं अधिक बु(िमान और शारीरिक रूप से स्वस्थ्य होते हैं। उन्हें बीमारी कम होती है। यही नहीं जो माताएं बच्चों को अपना दूध पिलाती है उनमें स्तन रोग और बच्चेदानी का कैंसर भी स्तनपान न कराने वाली माताओं की अपेक्षा बहुत कम होता है। माँ और बच्चे के बीच यह कुदरती सेतु दोनों की सेहत के लिए जरूरी है। 
 दुनियां में कदम रख रहे बच्चे की आंते अविकसित और बहुत कोमल होती हैं ऐसे में माँ का दूध ही उचित पोषक है और यह आसानी से पचने के साथ-साथ बच्चे को दस्त रोगों से भी बचाता है। पिफर उसे उबालनेया ठंडा करने  की भी झंझट नहीं। यह कुदरती कीटाणु रहित होता है। आश्यकीय तत्वों से भरपूर इस दूध में लाभकारी 'लैक्टिक बेसिलाई' जीवाणु पैदा करने की क्षमता होती है जो बच्चे को कोमल आंतों को अतिसार जैसी बीमारियों से बचाते हैं। विकल्प के तौर पर हम मजबूरी में जरूर गाय के दूध को तरजीह देते हैं, पर अन्य बाहरी दूध से कहीं अधिक मुपफीद होने के बावजूद इसमें भी प्रोटीन की मात्रा लगभग तीन गुनी होती है पर केसिन तथा पफास्पफोरस की अधिक मात्रा के कारण इससे  शिशु के गुर्दे में जोर पड़ता है। माँ के दूध में जरूरी अन-सेचुरेटेड पफटी ऐसिड होने के कारण भी यह दूध अति लाभकारी होता है। साथ ही इस दूध में 'लेक्टोज' की प्रचुरता-कैल्शियम के अवशोषण में शिशु की मदद करता है तथा शिशु के शरीर में नाइट्रोजन स्थिरता कायम रहती है। यहां यह भी जान लेें कि लेक्टोज हमारी केन्द्रीय स्नायु तंत्रा तंत्रिकाओं के सुरक्षात्मक बाहरी आवरण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। एक और अहम् बात बता दें कि माँ के दूध में शुरूआती दो-चार दिन तक 'कोलोस्ट्रम' गाढ़ा पदार्थ मौजूद रहता है, जो बच्चे में जीवन पर्यन्त बीमारियों से लड़ने की जबर्दस्त ताकत पैदा करता है। तो है ना ये चमत्कारिक, तो क्यों न हम उन नादान 'पिफगर काॅशियस' आधुनिक माताओं को भी आगाह करें जो अपने शिशुओं को स्तनपान कराकर इस वात्सल्य सुख से वंचित हैं ही पर अपने लाड़ले को तमाम दुखों का भागी भी बना रही हैं।