इस आन्दोलन की शुरूआत 1972 से शुरू वनों की अंधाधुंध एवं अवैध कटाई को रोकने के उद्देश्य से 1974 में चमोली जिले में गोपेश्वर नामक स्थान पर एक 23 वर्षीय विधवा महिला गौरी देवी द्वारा की गयी थी।
चिपको आन्दोलनकारी महिलाओं द्वारा 1977 में एक नारा दिया गया, जो कापफी प्रसि( हुआ। वह नारा था-'क्या है इस जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार, जिंदा रहने के आधार।'
चिपको आन्दोलन को अपने शिखर पर पहुंचाने में पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा और चंडी प्रसाद भट्ट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाद में इस आन्दोलन का कार्यक्षेत्रा समग्र रूप में पर्यावरण की रक्षा हो गया तथा बहुगुणा जी ने 'हिमालय बचाओ देश बचाओ' का नारा दिया। इस आन्दोलन के चमोली के चंडी प्रसाद भट्ट को 1981 में रेमन मैग्सेसे पुस्कार मिला था।
गौरी देवी और चिपको आन्दोलन