हीरू -बिन्दुलि

बिन्दुलि - कैमा न बोली ही रू हम द्विई मिली छा,
 सुरखण्डा का मेला मा हम हैंसी-खेली छा।।


हीरू -  मिन धै लगैकी ब्वन्ना भी बिंदुलि मिली छें,
 सुरखण्डा का मेला मा वो हैंसी - खेली छै।।


बिन्दुलि - हाथ जोड़लू त्वैकू हीरू तू कैमा नी बोली, 
 दुन्या ह्वैगे खराब छोरा, मुख जरा ना खोली।।
 स्वी सैई मची जाली हम हैंसी - खेली छा।।


हीरू - फुंण्डो फूक दुन्या की छवीं दुन्या सेंक्या जी लीण 
 आज मिल्यां की मी तैं समौण तिन जरूर दीणा
 मेरा दगड़या चितै जाडला मी बिंदुलि मिली है।।


बिन्दुलि - मिन समौण क्या त्वैतैं दीण मी छौ अभागी छोरी 
 बालातन बटी ई ज्वन्नि तक मिन खाया भारी खौरी 
 यीं खौरी का सिवा मीमू औरि बच्यू क्या।।


हीरू - दुःख-सुख जीवन मा बिंदुलि सदानी ही रांदा,
 इनि ज्वन्नी का दिन हमारा बौड़ी की नी आंदा,
 मी छौ समणा तेरा तू निरसीं किलै छै।।


बिन्दुलि - मी तैं लगदा डौर हीरू साथ हमारो होलो 
 ईं ठिसमार दुन्या से दूर तेरा दगडा जौलो,
 तेरो ही सहारो एक आस बंधी चा।


हीरू -  मी झट औलो त्वैतैं लिजौलो तौं डांडयूं का पौर 
 तेरी -मेरी जोड़ि ह्वली जख और न कैकी डौर 
 मी दुनिया बतैं द्यूलो तू कैकि बिंदुलि छै।।


बिंदुलि-हीरू (द्वी) - देणी ह्वैजा सुरखण्डा देवी हमतैं आषीश दे दे
 भेंट चडौला त्वैमू माता मन कामना पूरी कैदे,
 जुग-जुग बटैकी हम द्विई दगड़ी छा।।