जनम भूमि की खुद

1.  घुत-घुति परणि मा हूंदा, समलि की वीं भूमि तैं,
 हे पराणी फुर उड़ैजा, कनु सतौणु छै तु मै।।


2.  चांठयु को सी ध्वीड़मन यो, पांख्यु-पांख्यु डफगदा,
 कुतरड़ी मन लग्यूंचा, खुटा कखी नी अटगदा।
 डांडि-कांठयू गैरि-गदन्यू हे छुचों तुम कख जी गै 
 मी बलैद्या अफु मु लोलौ, कनु खुद्यौणा छा मी तैं। 


3.  जोड़ि-सौंज्यडयूं को दगडो, सुपिन्यो ह्वैगे मीकु तैं 
 हैंसणो, ख्यन्नो, नचणो, गाणो,मी खुज्योंदू कख जि गैं 
 छोटा-बड़ा जो प्यार करदा नी देखेन्दा अब इथैं, 
 ये दूर देष मन यो रूंदा कखि वो मी विसरी नि जैं। 


4.  बेटि-ब्वारयूं का रसीला गीत सुणलो अब कथंै
 दीदी-भुल्यू को झुमैलो, समलि रूंदू मी इथैं।
 हे हिवांली डांडी-कांठयू अब दिखेल्या तुम कथैं 
 या त तुम मीमु हि एैजा, या बुलैद्या मी तथैं।।


5.  ये समुद्र की छलारयूं मा खुज्योंदा द्वियू तैं 
 मेरि-गंगा, अलकनन्दा कुज्यणि कख जी लुकी गैं 
 देवि-द्यवतौ मिन क्य ख्वाया, इनु जु ह्वाया मीकु तैं 
 मी खुटयूं मा छौ तुमारी धोलि धूं तुमन कथैं।।


6.  घुत-घुती परणि मा हूंदा, समलि कीवी भूमि तैं,
 हे पराणी फुर उड़ैजा कनु झुरौणू छै तु मै।।