14वीं शताब्दी में खैरागढ़ के कत्यूरी सम्राट प्रीत देव थे जिन्हें 'जागर' लोकगीतों में पृथ्वीपाल, प्रीतमशाही, पिथौराशाही तथा राजा पिथिर आदि अन्य नामों से भी पुकारा जाता है। जियारानी इसी प्रीतम देव की छोटी रानी थी, जो मालवा नरेश की राजकुमारी थी। जियारानी का दूसरा नाम पिंगला या प्यौंला भी मिलता है।
कुमाऊँ की लक्ष्मीबाई कही जाने वाली इस रानी ने कुमाऊँ पर रोहिलों और तुर्कों के आक्रमण के दौरान रानीबाग यु( में उनका डटकर मुकाबला किया था, लेकिन अंत में वह बंदी बना ली गई थीं। इन्हें कुमाऊँ में न्याय की देवी माना जाता है।
कुमाऊँ की लक्ष्मीबाई जियारानी