स्वतन्त्राता से पूर्व टिहरी राज्य में राजा नरेन्द्रशाह के समय एक नया वन कानून लागू किया गया, जिसके तहत यह व्यवस्था थी कि किसानों की भूमि को भी वन भूमि में शामिल किया जा सकता है। इस व्यवस्था के खिलापफ रंवाई की जनता ने आजाद पंचायत की घोषणा कर रियासत के खिलापफ विद्रोह शुरू कर दी। इस आन्दोलन के दौरान 30 मई 1930 को दीवान चक्रधर जुयाल के आज्ञा से सेना ने आन्दोलनकारियों पर गोली चला दी जिससे सैकड़ों किसान शहीद हो गये। आज भी इस क्षेत्रा में 30 मई को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस आन्दोलन को तिलाड़ी आन्दोलन भी कहा जाता है।
रंवाई आन्दोलन