लोकसभा

अनुच्छेद 81- लोक सभा का गठन 
अनुच्छेद 83 - लोकसभा के सदस्यों का निर्वाचन भारत के नागरिकांे  के प्रत्यक्ष मतदान द्वारा किया जाता है, भारत का प्रत्येक नागरिक  जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम न हो मतदान का अध्किारी होगा। 
थ् लोकसभा जिसे निम्न सदन भी कहते हैं। जिसके 530 सदस्य राज्यों के प्रादेशिक क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने जाऐंगे और केन्द्र शासित प्रदेशों से 20 सदस्यों से अध्कि नही होंगे इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति अनु0 331 के तहत 2 एंग्लों इंडियन का मनोनयन लोक सभा में करता है 
थ् वर्तमान सीटों का आबंटन 1971 की जनगणना के अनुसार किया गया है, जो 2026 तक चलती रहेगी इस बीच में कोई भी परिवर्तन नहीं किया जाएगा। 
थ् लोकसभा अपने प्रथम अध्विेशन की तारीख से 5 वर्ष तक चलती रहेगी परन्तु आपातकाल में संसद की अवध् ि1 वर्ष बढ़ाई जा सकती है। लेकिन इस अवध् िकी समाप्ति के पश्चात् 6 माह के अन्दर निर्वाचन करवाना अनिवार्य है। 
थ् लोकसभा के सदस्य अपना इस्तीपफा लोक सभा अध्यक्ष को सौंपतें हैं, और इस प्रकार रिक्त हुए स्थान की पूर्ति 6 माह के अन्दर पूरी कर लेना अनिवार्य है। 
थ् पहला आम चुनाव 1952 में हुआ था और पहली निर्वाचित संसद 6 मई 1952 को गठित हुई थी। 
थ् लोकसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव लोकसभा अपने सदस्यों के बहुमत से करती है। इनका कार्यकाल लोकसभा के विघटन के साथ समाप्त हो जाता है। 
थ् परन्तु अध्यक्ष / उपाध्यक्ष इसके पूर्व भी अपना इस्तीपफा दे सकते हैं। 
थ् लोकसभा अध्यक्ष अपना इस्तीपफा उपाध्यक्ष को तथा उपाध्यक्ष अपना इस्तीपफा अध्यक्ष को सौंप सकता है। 
अनुच्छेद 94 - लोकसभा अपने तत्कालीन सदस्यों के 2/3 बहुमत से  प्रस्ताव पारित कर अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को हटा सकती है। परन्तु इसके  लिए उसे 14 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है। 
थ् लोकसभा के विघटन की स्थिति में अध्यक्ष अपना पद अगली लोकसभा की प्रथम बैठक तक खाली नहीं करता। 
अनुच्छेद 85;2द्ध
इसके तहत राष्ट्रपति लोकसभा को भंग कर सकता है। 
थ् राष्ट्रपति विघटन व सत्रावसान की शक्ति का प्रयोग मंत्राी परिषद की सलाह से करता है। लोकसभा एंव राज्य सभा की दैनिक बैठकांे को स्थगित करने की शक्ति लोकसभा के अध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति को प्राप्त है।
अनुच्छेद 86 
इसके तहत राष्ट्रपति किसी 1 सदन या दोनांे सदनों में अभिभाषण कर सकेगा तथा ऐसे अभिभाषण के समय संसद के सदस्यों से उपस्थिति  की अपेक्षा कर सकेगा तथा किसी लम्बित विध्ेयक के सम्बन्ध् में अपना सन्देश भेज सकता है। 
अनुच्छेद 87 
इसके तहत राष्ट्रपति लोकसभा के प्रत्येक साधरण निर्वाचन के बाद प्रथम सत्रा के प्रारम्भ में ;वर्ष में 1 सत्रा मेंद्ध राष्ट्रपति अभिभाषण कर सकेगा। राष्ट्रपति के अभिभाषण में संसद के आहवान करने के कारणों तथा सरकारी नीतियों तथा सरकार के भावी कार्यक्रमों तथा सरकार की कार्य शैली पर प्रकाश डाला जाता है।