मैते कि याद

झुण-मुणि बरखा सौंण को मैना,
मैत का दिन आज याद एै गैना
ब्वै-बाबू की लाड़ी-प्यारी छौ भारी 
दगड़यों की दगड़या सवि हर्चि गैना।।


  कुयेड़ी लगी होली डांडयूं का बीचा,
  घस्यनी बैठी होली उडारू का नीसा 
  गीत लगाली, खौरि सुणाली 
  रूंणी ह्वली जू मैतू नि गैना।।


बणदरयूं मूड़े पाणी की भांडी 
जंदरी लगी होलि मांजी कि पांडी,
को भग्यान स्यालो घुंण्डयू मा वींकी 
मांजी तै मेरी बडुली लगैना।।


  दगड़या भग्यान मैत्वड़ा जाला,
  मां की हत्यूं को पकयूं खाणू खाला 
  मी तैं त अपणी मां की हत्यूं को 
  पकयां खांणू खाणैकि स्याणी ह्वै गैना।।


छोटि-बड़ी भौजी घास कु जाली,
मांजी छोटा भुल्ला-भुल्यूं मा राली 
दूध तचाली, ऊतैं बुथ्याली,
मेरी खुदिन ह्वैगें जिकुड़ी का छीना।।


  बौड़ी कि आलो कवि दिन वो मांजी 
  खुचली परैं तेरी बैठली या लाडी।
  मुण्डी कटोरली भिंटुली बंधाली 
  वो स्वाणा दिन आज याद एै गैना।।