पहाड़ांे की रानी है मसूरी
वादियों की पटरानी है मसूरी
सुबह-सुबह देखें हिमायल जिसे
रात को जुगुनुओं से देहरादून ............. पहाड़ों की रानी ......
यहाँ सदा खुषियों की वादियों में
अपने सपनों का सच देखता है इंसान
ये दो प्रेमियों का लवर-प्वाईंट है मसूरी
आत्माओं का मिलन ईष्वर से कराती है
गनहील के द्वारा अपनी ये मसूरी ............. पहाड़ांे की रानी ......
क्या षायर महेष क्या कवि मनचला
क्या मौला साधु क्या पंडित और प्रेमी
सबके आंखों में बस जाती है मसूरी
यसे कमसीन अपनी अदाओं से लुभाती मसूरी
पहाड़ों की रानी ......
एक षायर की षायरी और कल्पनाओं से
गढ़ी है षायद ईष्वर ने ये मसूरी
दिन को कली एक कुंवारी सी
रात को दुल्हन लगती है मसूरी
पहाड़ों की रानी है मसूरी, वादियों की पटरानी है मसूरी