पंत जी का जन्म 10 सितम्बर, 1887 को ग्राम खूंट, जनपद अल्मोड़ा मंे हुआ था। पं. जवाहर लाल नेहरू जी ने इन्हें 'हिमालय पुत्रा' की उपाधि से विभूषित किया था। उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर उनके सहपाठी उन्हें गोविन्द बल्लभ 'महाराष्ट्र' कहा करते थे। 1946 में उन्हें उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्राी बनने का गौरव प्राप्त हुआ। और इस पद पर दिसम्बर 1954 तक रहे। उनके जीवन से सम्बन्धित प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैंः
1909 में इलाहाबाद से कानून की डिग्री लेने के बाद उन्होंने काशीपुर में वकालत शुरू की। 1914 में काशी नगरी प्रचारिणी सभा की एक शाखा के रूप में काशीपुर में 'प्रेमसभा' की स्थापना की। इसके बाद 1916 में कुमाऊँ परिषद् के गठन में अहम् भूमिका निभाई। 1923 में स्वराज्य पार्टी के टिकट पर नैनीताल जिले से संयुक्त प्रांत की विधान परिषद् के सदस्य निर्वाचित हुए, जबकि 1927 में उन्हें संयुक्त प्रांत की कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष चुना गया। 29 नवम्बर, 1928 को लखनऊ में साइमन कमीशन के विरू( प्रदर्शन में नहेरू के प्राणों की रक्षा करते समय गंभीर शारीरिक चोेटें आई।
1934 में वे अखिल भारतीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष तथा केन्द्रीय विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। 1937 में इनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में पहला कांग्रेसी मंत्रिमण्डल बना।
9 अगस्त 1942 को उन्हें कांग्रेस कार्यकारिणी के सदस्यों के साथ मुम्बई में गिरफ्रतार किया गया और 31 मार्च 1945 तक अहमदनगर के किले में नजरबंद रखा गया।
1946 में पुनः उत्तरप्रदेश विधानसभा के लिये निर्वाचित हुए और मुख्यमंत्राी बने और इस पद पर वे दिनांक 1954 तक रहे। 10 जनवरी 1955 को केन्द्रीय कैबिनेट में गृहमंत्राी के रूप में सम्मिलित हुए और देहावसान तक इस पद पर पदासीन रहे।
26 जनवरी 1957 को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया। 7 मार्च, 1961 को पक्षाघात के कारण इनका निधन हो गया।
पं. गोविन्द बल्लभ पंतः