पवित्र संगम देवप्रयाग

अलकनंदा व भागीरथी के संगम पर हरिद्वार से 94 किमी. दूर देवप्रयाग तीर्थ स्थित है। यहाँ पर नौंवी शताब्दी का विशाल रघुनाथ मंदिर तथा अन्य मंदिर हैं। मंदिर के पृष्ठभाग में शंकराचार्य गुपफा है। पौराणिक कथनानुसार भगवान राम ने रावण-वध के दोष-निवारणार्थ यहां तपस्या की थी। यहां पर गोमुख ग्लेशियर से प्रवाहित होकर भागीरथी नदी अलकनंदा से मिलने के बाद पतित पावनी गंगा कहलाने लगती है। कटाव के कारण यहां दो कुंड बन गये हैं। अलकनंदा की ओर वशिष्ठ कुंड तथा भागीरथी की ओर ब्रह्मकुंड है। देवप्रयाग के चारों दिशाओं में चार शिवजी विराजमान हैं, जो क्षेत्रापाल माने जाते हैं। यह पावन नगरी, दशरथांचल, गृध्र तथा नृसिंह तीन पर्वतोें से घिरी है। 
देवप्रयाग सर्वोत्तम तीर्थ माना जाता है। यहां पर एक राजकीय महाविद्यालय, संस्कृत महाविद्यालय, राजकीय इंटर कालेज, राजकीय कन्या इंटर कालेज, लोक निर्माण विभाग, गढ़वाल मंडल-विकास निगम, काली कमली आदि के विश्रामगृह, तहसील कार्यालय तथा अनेक राजकीय कार्यालय हैं।