यह यूúएसúएú व कनाडा के तर्ज पर 98वें संविधान संशोधन 2003, द्वारा गठित किया गया। इसके तीन कार्य हैंः
1. उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय के जजों की नियुक्ति।
2. जजों की सेवा निवृत्ति।
3. जजों के दुर्वव्यवहार की जांच करना ।
इस आयोग में मुख्य न्यायधीश, विधि मंत्राी और राष्ट्रपति द्वारा एक नामित व्यक्ति सदस्य होते हैं।
थ् सांसदों के द्वारा लोक सभा तथा राज्य सभा के सभापति को हटाया जा सकता है ।
थ् स्पीकर या चेयरमैन या सभापति इसे स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं ।
थ् जजों को हटाए जाने की प्रक्रिया लोक सभा भंग होने के बावजूद भी यदि प्रस्ताव स्वीकृत हो गया है, तो भी प्रस्ताव को भंग नहीं किया जाएगा ।
थ् जजों के वेतन व भत्ते संसदीय अधिनियम से विनियोग विधेयक द्वारा दिए जाते हैं।
थ् जजों के आचरण पर संसद में कोई भी चर्चा नहीं होगी।
अनुच्छेद-129
थ् सर्वाेच्च न्यायालय का एक अभिलेख न्यायालय होगा।
थ् सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा लिए गये निर्णय विधि के रूप में भी ग्रहण कर सकते हैं इसलिए उन निर्णयों को साक्ष्य के रूप में सुरक्षित रखा जाता है ।
अनुच्छेद-137
थ् इसके तहत सर्वाेच्च न्यायालय अपने द्वारा दिए गये निर्णय या आदेश पर पुर्नविचार कर सकता है और जरूरत पड़ने पर उसे परिवर्तित भी कर सकता है।
अनुच्छेद-143
थ् इसके द्वारा राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के जजों से सलाह ले सकता है, किन्तु इसके लिए वह बाध्य नहीं है।
अनुच्छेद-139
थ् इसके तहत सर्वाेच्च न्यायालय अधीनस्थ न्यायालयों को रिट जारी कर सकता है।
थ् मुख्य न्यायधीश का वेतन 1,00,000 रूपये व अन्य न्यायधीशों का 90,000 रूपये होता है।
अनुच्छेद- 214
थ् इसमें उच्च न्यायालय के गठन का प्रावधान है।
थ् वर्तमान में भारत की उच्च न्यायालय की संख्या 21 है।
थ् हर राज्य में एक उच्च न्यायालय है, लेकिन 7वें संविधान संशोधन 1956 में यह निर्णय लिया गया है, कि दो या दो से अधिक राज्यों के लिए भी एक ही उच्च न्यायालय हो सकता है ।
थ् उच्च न्यायालय में जजों की संख्या निर्धारित नहीं है। सर्वाेच्च न्यायालय के जजों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
थ् लेकिन इसके लिए वह उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से सलाह लेता है।
थ् उच्च न्यायालय के जज को शपथ राज्यपाल दिलाता है। जज अपना इस्तीपफा राष्ट्रपति को दे सकता हैं।
थ् उच्च न्यायालय के जज होने के लिए आवश्यक है कि वह भारत का नागरिक हो और उसे उच्च न्यायालय में वकालत के रूप में 10 वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य है।
थ् उच्च न्यायालय का जज 62 वर्ष की आयु समाप्ति पर सेवा निवृति हो जाता है।
थ् आयु सम्बन्धी विवाद का निपटारा राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
थ् लेकिन वह सर्वाेच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश से सलाह लेगा।
उदाहरणः न्यायमूर्ति आनंद के ऊपर आयु सम्बन्धी आरोप राम जेठ मलानी ने लगाया। जिसका निपटारा राष्ट्रपति ने किया ।
थ् उच्च न्यायालय के सदस्यों का वेतन संचित निधि पर भारित होता है।
थ् उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश का वेतन 90,000 रूपये व अन्य न्यायधीशों का वेतन 80,000 रूपये होता है।
थ् जब उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश का पद खाली हो जाता है और वह सेवा देने में असमर्थ है, तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति मुख्य न्यायधीश की नियुक्ति कर सकता है।
थ् पहली बार भारत में उच्च न्यायालय 1862 में बंगाल, मुम्बई और मद्रास में स्थापित किये गये।
राष्ट्रीय न्यायिक आयोग