रावण की आराध्ना स्थली तुंगनाथ 

रुद्रप्रयाग-ऊखीमठ-चोपता-मंडल-गोपेश्वर-चमोली मोटर मार्ग पर चोपता स्थान से चार किलोमीटर का चढ़ाई युक्त पैदल मार्ग तय पर तुंगनाथ मंदिर के भव्य दर्शन होते हैं। यहीं पर भगवान शिव की भुजाओं का विग्रह हुआ था। इस मनोरम तृतीय केदार 'तुंगनाथ मंदिर' में भुजाओं की विशेष पूजा होती है, क्योंकि इस स्थान पर शिव, भुजा अथवा बाँह के रूप में विद्यमान हैं। 
चन्द्रशिला पर्वत शिखर के मध्य स्थित तुंगनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर हिमालय का आकर्षक एवं मनोहारी हिमानी दृश्य दिखाई देता है। समीप ही 'रावण-शिला' है। किंवदंती है कि यहाँ पर रावण ने भगवान शंकर की आराधना की थी। शीतकाल मंे मंदिर के पट बंद हो जाने पर तुंगनाथ की पूजा मक्कूमठ में होती है। कपाट खुलने के अवसर पर केदारनाथ की डोली की भांति तुंगनाथ की डोली मक्कूमठ से तुंगनाथ के लिए प्रस्थान करती है तथा पट बंद होने पर वापस यहीं आ जाती है।