रुद्रनाथ  

चमोली जनपद के मुख्यालय गोपेश्वर से लगभग चार किलोमीटर की दूरी स्थित गंगोलगांव से रुद्रनाथ मंदिर पहुंचने के लिए 18 किलोमीटर का चढ़ाई युक्त पैदल मार्ग तय करना पड़ता है। मंदिर अपेक्षाकृत कुछ छोटा, पाषाण गुपफा के अंदर सुंदर ढंग से बना हुआ है, जिसमें अपने नाम के अनुरूप भगवान शंकर की रौद्र स्वरूप श्यामवर्णा पत्थर की साक्षात् मुख प्रतिमा स्वयं मुखलिंग है। शिव द्वारा रौद्र दृष्टि से पाण्डवों को देखने के कारण इस स्थान का नाम रुद्रनाथ पड़ा। यहीं पर शिव के मुख का विग्रह हुआ। संभवतः देश में यह अकेला अनुपम हिमानी तीर्थ है, जहाँ पर शंकर के शीश की पूजा होती हैै। रुद्रनाथ, चतुर्थ केदार के रूप में पितृ-तीर्थ के नाम से प्रसि( है। रुद्रनाथ से द्रोणगिरि, चैखम्बा, नन्दादेवी, त्रिशूली आदि हिमानी पर्वत शिखर दिखाई देते हैं। 
भगवान शिव के मुख-मंडल के दर्शन विश्व में केवल दो स्थानों पर ही होते हैं। चतुरानन के रूप में पशुपतिनाथ नेपाल में तथा एकानन के रूप में रुद्रनाथ में। निःसंदेह रुद्रनाथ, प्रकृत्ति और अध्यात्म की पुण्य-संधि है। शीतकाल में मंदिर बंद हो जाने के बाद रुद्रनाथ की पूजा गोपेश्वर मंदिर में होती है।