बदरीनाथ मार्ग पर अलकनंदा व मंदाकिनी के संगम पर रुद्रप्रयाग तीर्थ स्थित है। संगम के पास रुद्रेश्वर भगवान, हनुमान जी आदि देवी-देवताओं के मंदिर हैं। कहते हैं कि देवर्षि नारद ने यहां पर '¬ नमोः शिवायः' मंत्रा से शिवजी ;रुद्र भगवानद्ध की आराधना करते हुए संगीत शास्त्रा का ज्ञान प्राप्त किया था। इसीलिए रुद्रप्रयाग को पहले रुद्रावर्त कहते थे। महाभारत वनपर्व ;84-37द्ध में इसका उल्लेख मिलता है।
रुद्रावर्त ततो गच्छेत् तीर्थ सेवी नराधिप।
तत्रास्नात्वा नरो राजन स्वर्गलोकं च गच्छति।।
रुद्रप्रयाग से केदारनाथ धाम का मुख्य मार्ग प्रारंभ होता है।
यहां पर संस्कृत महाविद्यालय, राजकीय इंटर कालेज, राजकीय कन्या इंटर कालेज, लोक निर्माण विभाग, वन विभाग, गढ़वाल मंडल-विकास निगम, कालीकमली आदि के विश्रामगृह के अलावा जिलाधिकारी, तहसील, जिला पंचायत तथा अनेक राजकीय विभागों के प्रमुख कार्यालय हैं।
रुद्रप्रयाग