जी हां, यह हकीकत है। उत्तराखंड के माननीय और यहां के विभाग अपने कार्यों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं। इस बार चर्चा में पीएमजीएसवाई विभाग उत्तराखंड। जिसने सड़क तो बनाई पर भिलंगना नदी के ऊपर से पार जाने वाली सड़क से जोड़ने के लिए पुल बनाना भुला गया या यूं कहें भूला दिया। दरअसल एक सड़क जो वर्ष 2015 में बन गई परंतु उस पर चार साल में एक पुल न बना पाना सिर्फ इस वजह से कि टेंडर हुए पर किसी पार्टी ने प्रतिभाग नहीं किया बिल्कुल औचित्यहीन लगता है। लगभग 3500 से ज्यादा लोगों की खुशियों को एक पुल ने रोके रखा है।
दरअसल यह मामला टिहरी गढ़वाल के भिलंगना ब्लाक के ग्राम पंचायत समण गांव का जहां धोपडधार - समण गांव 6 किमी सड़क पीएमजीएसवाई से स्वीकृत होने के उपरांत बन तो गई पर एक पुल न होने के कारण लोग आजतक पैदल आवाजाही करने पर मजबूर हैं। लगभग 55 मीटर लंबे पुल को बनाने के लिए एक भी ठेकेदार न मिलना साबित करता है कि विभाग ने इस दिशा में पहले से कोई ठोस कदम नहीं उठाया नहीं तो चार साल तक सड़क बन जाने पर भी लोग पैदल मार्च न कर रहे होते। सिर्फ चार पांच बार टेंडर करके अपना पल्ला झाड़ना और कहना कि हमने टेंडर कर दिया था कोई आया ही नहीं, बहुत समझदारी वाली बात नहीं है।
इससे बड़ा आश्चर्य तो यह है कि यहां के एक्शन संजय श्रीवास्तव और विधायक शक्ति लाल शाह के बीच कम्यूनिकेशन गैप है। जहां विधायक चीफ से हुई उनकी वार्ता के क्रम में पुल के दोबारा हुए टेंडर को 29 नवंबर 2019 को खुलने की बात कर रहे हैं वहीं एक्शन को इस संबध में सिर्फ इतना पता है कि इस पुल की डीपीआर बनाकर भारत सरकार के अप्रूवल के लिए भेजी गई है। जब पीएमजीएसवाई के उत्तराखंड चीफ से दूरभाष पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
पर जो भी हो इतना तय है कि पीएमजीएसवाई विभाग की पूरी जिम्मेदारी बनती थी कि वह इस समस्या का कोई समाधान निकाले। यदि विभागीय अधिकारियों को अपने क्षेत्र के कार्यों की पूरी जानकारी ही नहीं है तो फिर विकास कैसे हो पाएगा।
अब ऐ तो वक्त ही बताएगा कि पुल बनेगा या पुलाव?
इसके लिए क्षेत्रीय जनता को आज पीएमजीएसवाई मुख्यालय देहरादून में आकर
सांकेतिक धरना देना पड़ा। धरना देने वालों में राजेन्द्र सेमवाल, गंगा प्रसाद शर्मा, जगदीश प्रसाद सेमवाल, उदय राम सेमवाल, गोविंद राम जोशी, जगदीश प्रसाद सेमवाल ( पूर्व सैनिक), भगवान दत्त, अब्लेश्वर, जितेंद्र प्रसाद, नत्थी राम बडोनी, कमल प्रसाद सेमवाल, गोविंग प्रसाद, देवा नंद, दिनेश सेमवाल, चैत राम बडोनी आदि उपस्थित थे।