संविधान दिवस किसी अजूबे से कम नहीं 

विश्व में जो असंभव लगा वह भारत ने कर दिखाया और उसका जीता जागता उदाहरण है भारतीय संविधान। जिस समय भारतीय संविधान की परिकल्पना की गई होगी उस समय भारत बिना प्रशासनिक अनुभव, विभिन्न वर्गों में विभाजित और सबसे बड़ी बात इतने बड़े जन-समूह को केन्द्र में रखकर ऐसा दस्तावेज बनाना जहां किसी के अधिकारों का हनन न हो सके। वास्तव में भारतीय संविधान किसी अजूबे से कम नहीं है। जो आज भी विविधता को एक सूत्र में बांधकर निरंतर आगे बढ़ रहा है, जिसमें शासन भी जनता का है और अधिकार भी जनता का। 
संविधान से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तत्व -
संविधन सभा और प्रमुख समीतियां
1. संघ शक्ति समीति - अध्यक्ष - पंडित नेहरू 
2. संचालन समीति - अध्यक्ष - डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद 
3. झंडा समीति -अध्यक्ष - जे. बी. कृपलानी
4. मूल अधिकारों रों पर आधरित समीति - अध्यक्ष - सरदार पटेल 
21 फरवरी 1948 को प्रारूप समीति द्वारा संविधान सभा का प्रारूप प्रस्तुत किया गया। 
नवम्बर 1948 - नवम्बर 1948 में संविधान का प्रथम अध्ययन शुरू हुआ। 
17 अक्टूबर 1949- कई बैठकों के बाद दूसरा अध्ययन शुरू। 
 14 नवम्बर 1949 - को संविधान सभा की बैठक हुई और तीसरी बार संविधान का विस्तृत अध्ययन किया गया। यह अध्ययन 26 नवम्बर 1949 को पूरा हुआ तथा संविधान सभा के अध्यक्ष डाॅ0  राजेन्द्र प्रसाद के हस्ताक्षर के पश्चात् संविधान को पारित घोषित किया गया।
 26 जनवरी 1950- में संविधान सभा के 284 सदस्यों ने संविधान पर हस्ताक्षर किए और इसी दिन डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद को भारत का राष्ट्रपति बनाया गया। 
 भारतीय संविधान को बनाने में 2 वर्ष 11 माह व 18 दिन लगे। 
 संविधान र्निमाण में 63 लाख 96 हजार 729 रू0 खर्च हुए इसके र्निमाण के लिए 60 देशों के संविधान को आधार बनाया गया इसी कारण इसे उधार का थैला कहा गया है। 
मूल संविधन में 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां व 22 भाग थे। 
संविधान सभा में 5 महिलाऐं भी थीं जो कांग्रेसी थी।
सरोजनी नायडू 
श्रीमती दुर्गाबाई देशमुख 
हंसा मेहता 
श्रीमती विजयलक्ष्मी पण्डित
 श्रीमती अमृता कौर 
संविधान दिवस (26 नवम्बर) भारत गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 से संविधान दिवस मनाया गया। संविधान सभा ने भारत के संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया। गणतंत्र भारत में 26 जनवरी 1950 से संविधान अमल में लाया गया।
यह जितना आसान लगता है उतना है नहीं। बहुत कठिन था परंतु असंभव नहीं। इसे बनाने वाले जिस मानसिकता के रहें हों पर इतना तय था उस समय उनके दिलो दिमाग में सिर्फ भारत और भारत के वे लोग जो हाशिए पर खड़े थे छाए हुए थे। तभी तो किसी भी वर्ग को कम या ज्यादा नहीं आंका गया। संविधान दिवस पर संविधान बनाने में अपना योगदान देने वाले सभी महानुभावों को शत् शत् नमन्।