शिवजी की सौ वर्ष की तपस्या या कल्पेश्वर के दर्शन दोनों एक बराबर

बदरीनाथ मार्ग पर हेलंग नामक स्थान से अलकनंदा नदी पार कर लगभग 10 किलोमीटर की हल्की चढ़ाई वाला पैदल मार्ग तय कर 'पंचम केदार' कल्पेश्वर तीर्थ स्थित है। यहां पर छोटा मंदिर है। इस स्थान पर शिव की जटाओं का विग्रह होने के कारण इसका नाम जटामौलेश्वर पड़ा, किन्तु यहां पर पाण्डवों को शिव-दर्शन की कल्पना मात्रा ही रहने के कारण इस स्थान का नाम कल्पनाथ या कल्पेश्वर हो गया। गुपफा स्थित पाषाण शिला में शंकर भगवान की जटाओं के अपूर्व दर्शन एवं पूजा का माहात्म्य है। कल्पेश्वर में अनेक )षियों ने तपस्या की थी। वर्षभर खुले इस तीर्थ में भग्नावस्था में अनेक छोटे-छोटे शिवलिंग मिलते हैं। 
प्राकृतिक एवं रमणीक दृश्य-दर्शन के साथ-साथ आध्यात्मिक दृष्टि से भी गढ़वाल हिमालय की घाटी में स्थित 'पंचकेदार' की यात्रा का विशेष महत्व है। किंवदंती है कि केदारखंड के अंतर्गत पंचकेदार की यात्रा शिवजी की सौ वर्ष की तपस्या के बराबर है। 'पंच केदार यात्रा' धार्मिक आस्था एवं साहसिक पर्यटन का अद्भुत संगम भी है।