सोने की घड़ी और पं. नैनसिंह रावत

इनका जन्म 1830 में मिलम ;मुनिस्यारी, पिथौरागढ़द्ध में हुआ था। अध्यापक की नौकरी के कारण ये पंडित के नाम से लोकप्रिय थे। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के लिए एक व्यापारी वेश में 1866 में नेपाल सीमा से ल्हासा ;तिब्बतद्ध तक का कठिन सर्वेक्षण किया। इस यात्रा में उन्होंने सेक्सटेंट ;कोण नापने वाला यंत्राद्ध से 99 स्थानों के अक्षांशों का अंकन किया तथा आर्थिक-सामाजिक जीवन के प्रति भी महत्वपूर्ण जानकारियां ली। तिब्बत की थोकजातुंग नामक सोने की खान तथा ब्रह्मपुत्रा नदी के 600 मील तक के प्रवाह पथ का सर्वेक्षण किया। इन सर्वेक्षणों के लिए ब्रिटिश शासन ने उन्हें कम्पेनियन आॅपफ इंडियन एम्पायर अलंकार से विभूषित किया। लंदन की रायल ज्योग्रापिफकल सोसायटी ने उन्हें सोने की घड़ी तथा अति विशिष्ट पेट्रेनस गोल्ड मेडल प्रदान किया। यह पदक प्राप्त करने वाले वह भारतीय मूल के प्रथम नागरिक थे। इसके अतिरिक्त तत्कालीन वायसराय द्वारा रूहेलखंड के मुरादाबाद गांव की जागीर भी उन्हें प्राप्त हुई थी।