प्रतिवर्ष द्वारहाट ;अल्मोड़ाद्ध में वैशाख माह के पहले दिन बिखौती मेला व पहली रात्रि को स्याल्दे मेला लगता है। इस मेले का आरम्भ कत्यूरी शासनकाल से माना जाता है। आल, गरख व नौज्यूला वर्गों मंे बंटे हुए 3 दल इस मेले के अवसर पर क्रमशः द्वाराहाट बाजार में स्थित ओढ़े को भेंटने की रस्म पूरी करते हैं। हर दल के लोग अलग-अलग वेशभूषा व ढोल-नगाड़ों, रणसिंघें व ध्वजा के साथ यहां पहुंचते हैं। स्याल्दे मेले के शुरू होने से पहले बाद पुजै ;मार्ग पूजनद्ध होता है, जिसकी शुरूआत नौज्यूला वर्ग द्वारा की जाती है। मेले में लोक नृत्य तथा गीत विशेषकर झोड़े व भगनौल गाये जाते हैं।
स्याल्दे-बिखौती मेला