उड़ रे कागा

 


उड़ रे कागा बादलु बीच ह्यूंचलि डाडयूं मा,
मेरो रेवार बोलिदे कागा मेरि मांजि मा......मेरी माजि मा 
सूनला तेरी चूंच म्वड़ोलो पंख सज्योलो चान्दी ना,
दूध-भात की खीर खलौलो त्वे तैं सूना की थालि मा
    उड़ रे कागा ....................
हिमालै का समणी दिख्याला बद्री-केदार का चैखम्बा,
धौलि-भगीरथी पंच-प्रयाग हमारे पहाड़ मा,
    उड़ रे कागा ....................
उड़ि-उड़ि तेरा पंख थकला ऊँट उबाला तीस ना
बांज की जडयूं को ठंड़ो पाणि प्येकी बैठी डाल्यूं का छैल मा
    उड़ रे कागा ....................
ग्वैरू की मूरली-मोछंग बाजलि बांज बुरांष की डांडयूं मा
बेटी-ब्वारयूं का सुणली रसीला गीत तु घसेली डाडयूं मा
    उड़ रे कागा ....................
गौं का नेड़ा जब जैंली रूमुक प्वडं़या तु घाम रालो
डांडी काठंयू मा .................
ग्वेर घसेर घर जाणा राला धूलो उडणु रालो बाढ़ो मा,
    उड़ रे कागा ....................
गौ-धूलि बगत तु मांजि मू जैली मा बैठी राली तिवारी मा 
मां की खुटयूं मा पोड़ी सेवा लगै की तु याद दिलै मेरी मांजिमा 
    उड़ रे कागा ....................
मांजि मा बोली हे मांजि मेरी दिल बौलेणु च मा ये देष मा 
क्या कना, कख जाणा क्वी नी देखेन्दो अपणों ये लोला परदेष मा
    उड़ रे कागा ....................
खुद लगींच मां भै-बैणों की डांडी-कांठयूं कि गौं-गौल्यू कि तेरी 
पंचनाम देवतौं की विनती करदु मांजि कब औलो पाड़ मा 
    उड़ रे कागा ....................
कनो जैली मांजि मू भग्यान कागाा तु कनो देखली ऊं डांडी-काठंयू 
रंगमतो ह्वेकी कनो फुर-फुर उड़लि धम्र्याली भूमि मा।।
    उड़ रे कागा ....................