उत्तराखण्ड और चित्रकला

प्राचीन कालः राज्य में चित्राकला के सबसे प्राचीनतम नमूने शैल चित्रा के रूप में लाखु, ग्वारख्या, किमनी गांव, ल्वेथाप, हुडली, पेटशाल, पफलसीमा आदि गुपफाओं में देखने को मिलते हैं। 
अल्मोड़ा के लाखु गुपफा के शैल चित्रा में मानव को अकेले या समूह में नृत्य करते हुए चित्रित किया गया है। इसके अलावा विभिन्न पशुओं को भी चित्रित किया गया है। इन चित्रों को रंगों से सजाया गया है। 
चमोली के ग्वारख्या गुपफा में अनेक पशुओं का चित्राण किया गया है जो कि लाखु के चित्रा से अधिक चटकदार है। 
चमोली के ही किमनी गांव के शैली चित्रा हथियार एवं पशुओं के हैं, जिन्हें सपफेद रंग से रंगा गया है। 
अल्मोड़ा के ल्वेथाप के शैलचित्रा में मानव को शिकार करते और हाथों में हाथ डालकर नृत्य करते दिखाया गया है। 
उत्तरकाशी के हुडली गुपफा के शैलचित्रा में नीले रंग का प्रयोग किया गया है।