उत्तरायणी मेला

 मकर संक्रान्ति के अवसर पर कुमाऊँ-गढ़वाल क्षेत्रा के कई नदी घाटों एवं मन्दिरों पर उत्तरायणी मेले लगते हैं। सन् 1921 में बागेश्वर में सरयू के किनारे इसी मेले में उस समय प्रचलित कुली बेगार कुप्रथा को समाप्त करने का संकल्प लिया गया था और कुली बेगार से सम्बन्धित सभी कागजात सरयू नदी में बहा दिए थे।